क़र्ज़ और ज्योतिष
क़र्ज़ एक ऐसा दलदल है जिसमे एक बार फॅसने पर व्यक्ति उसमें धसता ही चला जाता है। ज्योतिष शास्त्र में षष्ठम, अष्ठम, द्वादश भाव एवं मंगल को क़र्ज़ का गृह माना जाता है।
मंगल के कमजोर होने पर या पाप गृह से सम्बंधित होने पर या अष्ठम, द्वादश, षष्ठम भाव में नीच स्थिति में होने पर व्यक्ति सदैव ऋणी बना रहता है। ऐसे में यदि मंगल पर शुभ ग्रहों की दृष्टि पड़े तो क़र्ज़ होता है, लेकिन मुश्किल से उतरता है।
शास्त्रों में मंगलवार और बुधवार को क़र्ज़ के लेनदेन के लिए वर्जित किया गया है। मंगलवार को क़र्ज़ लेने वाला व्यक्ति आसानी से क़र्ज़ चुका नहीं पाता है तथा उस व्यक्ति की संतान भी इस वजह से परेशानियां उठाती है।
क़र्ज़ निवारण से मुक्ति के उपाय
1. शनिवार को ऋण मुक्तेश्वर महादेव का पूजन करें।
2. मंगल की पूजा, दान और मंगल के मन्त्रों को जप करें।
3. मंगल एवं बुधवार को क़र्ज़ का लेनदेन न करें।
4. लाल, सफ़ेद वस्त्रों का अधिकतम प्रयोग करें।
5. श्रीगणेश को प्रतिदिन दूर्वा और मोदक का भोग लगाएं।
6. श्रीगणेश के अथर्वशीश का पाठ प्रति बुधवार करें।
7. शिवलिंग पर प्रतिदिन कच्चा दूध बढ़ाएं।
By Dr. Kaajal Manglik
article published in Future Samachar Magaine, Year 21, No. 21, April, 2017, pg. 51