JUST BOOK AN APPOINTMENT IN RS. 2100/-    

Sadesati


साढ़ेसाती


खौफ होता है। साढ़ेसाती यानी साढ़े सात वर्ष की कालावधि। शनि सभी द्वादश (12) राशि घूमने के लिए 30 साल का समय लेता है यानी एक राशि में शनि ढाई वर्ष रहता है। जब शनि जन्म राशि के 12वें (जन्म राशि में से द्वितीया में भ्रमण करता है) तब प्रस्तुत परिपूर्ण काल 'साढ़ेसाती' का माना जाता है।

कहा जाता है कि भगवान शिव की कृपा से शनिदेव समस्त प्राणियों को उनके द्वारा पूर्व तथा वर्तमान जन्म में किए गए पाप कर्मों के अनुसार ही जीवन में शुभ कर्म करने का अवसर देते हैं। नवग्रहों में शनिदेव को दंडनायक के रूप में स्वीकार किया गया है। कहा जाता है कि भगवान शिव की कृपा से शनिदेव समस्त प्राणियों को उनके द्वारा पूर्व तथा वर्तमान जन्म में किए गए पाप कर्मों के अनुसार ही जीवन में रोग, अशांति, अपयश, अवनति, दु:ख, मृत्युतुल्य कष्ट आदि दंड देकर जीवन को सुधार कर शुभ कर्म करने का अवसर देते हैं। वहीं पूर्व जन्म में शुभ कर्म करने वालों की जन्म कुंडली में स्व या उच्च राशि में विराजमान होकर धन, संपत्ति, आरोग्य, शांति, सम्मान, सुख आदि प्रदान करते हैं। 

शनि एक राशि में ढाई वर्ष होता है, इस प्रकार 3 राशियों में शनि के कुल निवास को साढ़ेसाती कहते हैं यानी ये साढ़े सात वर्ष काफी तकलीफ, आफत और मुसीबतों का समय होता है। किंवदंती के अनुसार वीर राजा विक्रमादित्य भी शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव में आए थे और तभी उनका राजपाट सब छिन गया था।

शनि महामंत्र
जिस राशि में साढ़ेसाती लगती है, उस राशि के जातक को शनि महामंत्र के 23,000 मंत्रों को साढ़े सात वर्षों के भीतर करना अनिवार्य है। शनि महामंत्र के जाप 23 दिनों के अंदर पूरा करना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि जातक को शनि महामंत्र जाप एक ही बैठक में नित्य एक ही स्थान पर पूरा करना चाहिए।

यदि आप शनि की साढ़ेसाती से पीड़ित है तो आप ज्योतिष वाणी में डॉ काजल मांगलिक को कुंडली दिखाकर सलाह ले सकते हैं।